Wednesday, January 19, 2022

अपना मालिक आप बने जो

खुद से परिचय जितना गाढ़ा होता जाता है, पता चलता है हम मालिक हैं पर नौकरों की भूमिका निभाते रहते हैं. मन व बुद्धि हमारी सुविधा के लिए ही तो हैं पर हम वही बन जाते हैं. जल जैसे स्वच्छता करने के लिए है, पर जल यदि गंदा हो तो सफाई नहीं कर पाता है, वैसे ही मन तो जगत में प्रेम, शांति व आनन्द बिखेरने के लिए हैं पर जो मन क्रोध बिखेरता है वह तो वतावरण को दूषित कर देता है. परमात्मा की निकटता का यही तो अर्थ है कि हमारा मन परमात्मा के गुणों को ही प्रोजेक्ट करे न कि अहंकार के साथियों को जो दुःख, क्रोध, ईर्ष्या आदि हैं. 


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