Wednesday, January 12, 2022

उत्सव एक रूप अनेक

मकर संक्रांति का उत्सव किसी न किसी रूप में सम्पूर्ण भारतवर्ष में मनाया जाता है।पंजाब, दिल्ली, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश और जम्मू  में इसे फसल का त्योहार माना  जाता है, कृषकगण  लोहरी और माघी के रूप में मनाते हैं; अग्नि के चारों ओर नृत्य करते हुए युवा नाचते और गाते हैं। उत्तर भारत में इसका नाम खिचड़ी है, तिल और गुड़ के साथ दाल-चावल का दान भी किया जाता है। राजस्थान और गुजरात में इसी पर्व को सूर्य के उत्तरी गोलार्ध के सूर्य के सम्मुख आने के कारण  उत्तरायण कहा जाता है। इस दिन आकाश में रंग-बिरंगी पतंगें उड़ायी जाती हैं। तमिलनाडु में यही पोंगल है जब खुले में चूल्हे पर दाल-चावल बनाए जाते हैं। आंध्र प्रदेश, महाराष्ट्र,केरल  और कर्नाटक में इसे संक्रांति कहा जाता है, तीन दिनों तक इस उत्सव को मनाते हैं। पश्चिम बंगाल में इसे पौष  संक्रांति कहा जाता है। असम में इसे भोगाली बीहू कहा जाता है जब पीठा, तिल व नारियल के लड्डू व विभिन प्रकार के पारंपरिक व्यंजन  बनाए जाते हैं।इस प्रकार यह पर्व पूरे देश को एक सूत्र में जोड़ता है। 


4 comments:

  1. नमस्ते,
    आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा शुक्रवार (14-01-2022 ) को 'सुधरेगा परिवेश अब, सबको यह विश्वास' (चर्चा अंक 4309) पर भी होगी। आप भी सादर आमंत्रित है। 12:01 AM के बाद प्रस्तुति ब्लॉग 'चर्चामंच' पर उपलब्ध होगी।

    चर्चामंच पर आपकी रचना का लिंक विस्तारिक पाठक वर्ग तक पहुँचाने के उद्देश्य से सम्मिलित किया गया है ताकि साहित्य रसिक पाठकों को अनेक विकल्प मिल सकें तथा साहित्य-सृजन के विभिन्न आयामों से वे सूचित हो सकें।

    यदि हमारे द्वारा किए गए इस प्रयास से आपको कोई आपत्ति है तो कृपया संबंधित प्रस्तुति के अंक में अपनी टिप्पणी के ज़रिये या हमारे ब्लॉग पर प्रदर्शित संपर्क फ़ॉर्म के माध्यम से हमें सूचित कीजिएगा ताकि आपकी रचना का लिंक प्रस्तुति से विलोपित किया जा सके।

    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।

    #रवीन्द्र_सिंह_यादव

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    1. बहुत बहुत आभार रवींद्र जी!

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  2. जी हां हमारे यहां यह की खिचड़ी और मकरसंक्रांति के रूप में मनाया जाता है! मैं अपनी यहाँ की एक विशेष परंपरा बताती हूं हमारे यहां इस दिन छोटे से लेकर बड़े सब को नहाना अनिवार्य होता है बिना नहाए किसी को भोजन नहीं मिल सकता!😀
    मकरसंक्रांति की बहुत-बहुत शुभकामनाएं व ढेर सारी बधाइयां💐

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    1. स्वागत व आभार मनीषा जी, आपने बहुत रोचक बात बतायी, वैसे नहाना तो रोज़ ही चाहिए न, हाँ बहुत ज़्यादा ठंड में छूट मिल सकती है😀

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