जनवरी २००३
मृत्यु के बाद व्यक्ति कहाँ जाता है कोई नहीं जानता.. आत्मा शाश्वत है, वह किसी नई देह को धारण कर लेती होगी और संभवतः इस जन्म की बातें शीघ्र ही भूल भी जाती होगी. हम जन्म के पूर्व अव्यक्त रहते हैं, मृत्यु के बाद भी अव्यक्त हो जाते हैं, मध्य में कुछ ही समय हम व्यक्त होते हैं, इस क्षणिक जीवन में जितने-जितने हम शुद्ध होते जाते हैं, उतना ही मृत्यु का भय कम होता जाता है. अपने उस स्वरूप का अनुभव हमें इसी रूप में होने लगता है, जो रूप हम मृत्यु के बाद अनुभव करने वाले हैं. तन व मन से परे, बुद्धि, चित्त, अहंकार से भी परे हमारा शाश्वत प्रेममय, ज्ञानमय, और आनन्दमय रूप है जो सत्य है और सनातन है. यह रूप तो हमें अपनी पूर्वजन्म की इच्छाओं और वासनाओं के कारण मिला है. हमारे कर्म यदि इस जन्म में निष्काम हों और वासनाएं न रहें तो आपने शुद्धतम रूप में हम प्रकट हो सकते हैं. वैसे भी इस जगत में ऐसा है भी क्या जो हमें तुष्ट कर सके.
सही है ..
ReplyDeleteवैसे भी इस जगत में ऐसा है भी क्या जो हमें तुष्ट कर सके.
ReplyDelete.....बहुत सच कहा है...फ़िर मृत्यु का भय क्यों?
आत्मा शाश्वत है,
ReplyDeleteatal satya.
PRANAM SWIKAREN
सच से क्या भय ..
ReplyDeleteवैसे भी इस जगत में ऐसा है भी क्या जो हमें तुष्ट कर सके. TRUE.
ReplyDeleteसंगीता जी, रमाकांत जी, ऋतु जी, भावना जी व कैलाश जी आप सभी का स्वागत व बहुत बहुत आभार !
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