फरवरी २०००
जीवन एक अदभुत उपहार है, जो हमें मिला है, इसे सही अर्थों में जीना ही एक सजग मानव का सर्वोपरि उद्देश्य है. हमारे प्रत्येक छोटे-बड़े कार्य, विचार, और वाणी का प्रभाव न केवल हम पर बल्कि हमारे सम्पर्क में आने वाली प्रत्येक वस्तु या व्यक्ति पर पड़ता है, अतः प्रतिपल सजग रहकर व अपने उत्तरदायित्व के प्रति जागरूक रह कर ही हमें अपने व्यवहार को निर्देशित करना चाहिए.
जीवन अपने आप में एक अद्भुत और अनमोल शै है, एक नारी के लिये यह और भी महत्वपूर्ण बन जाता है क्योंकि वह इस रहस्यमय सृष्टि का क्रम चलाए रखने में सहायक है, वह माँ है, प्रेम, स्नेह और ममता उसका सहज स्वभाव है. इस जगत का व्यापार प्रेम के कारण ही चल रहा है. युगों –युगों से नारी जाति ने त्याग और बलिदान के असंख्य दीप जलाये हैं जो उनके हृदय के उत्कट प्रेम के ही प्रतीक हैं क्योंकि जहाँ शुद्ध प्रेम होता है त्याग वहीं संभव है, हमारे देश की संस्कृति भी जीवन के इसी सुन्दरतम पक्ष की ओर इन्गित करती है, वहाँ हिंसा, लोभ और अहंकार का कोई स्थान नहीं. भारतीय साहित्य भी जीवन के उच्चादर्शों को प्रमुखता देता है.
आपकी विचारों से पूरी तरह सहमत हूं। पर आज युवा पीढी का भारतीय साहित्य से बन रही दूरी से निराश हूं। जबकि कोई ऐसी समस्या नहीं है, जिसका हल भारतीय साहित्य में न हो।
ReplyDeleteसुन्दर विचार अनुपम प्रस्तुति.जीवन का उपहार अदभुत व अनमोल है.आपके ब्लॉग पर पहली दफा आना हुआ,अच्छा लगा आपका सुन्दर लेख पढकर.
ReplyDeleteमेरे ब्लॉग पर आप आईयेगा,आपका हार्दिक स्वागत है.