Monday, August 4, 2014

मुक्ति का जब बोध रहे

जनवरी २००७ 
हर कामना की पूर्ति के बाद हम मोक्ष का अनुभव करते ही हैं तथा बोध तो आकाश की तरह हर जगह है. हर श्वास के साथ जैसे निश्वास है वैसे ही हर कर्म के पीछे उससे मुक्ति तो है ही, न हो तो जो सुख हमें कर्म से मिल रहा है वह दुःख में बदल जायेगा. छोटे-छोटे कार्यों में जब हम मुक्ति का अनुभव करते हैं तो एक दिन उस परम मुक्ति का भी अनुभव हो जाता है जिसे पाकर कुछ पाना शेष नहीं रहता. 

2 comments:

  1. बहुत सुंदर है इबादत है ये तो।

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  2. स्वागत व आभार वीरू भाई !

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