Thursday, May 16, 2013

तू ही तू ही


सितम्बर २००४ 
ईश्वर की निकटता का अहसास ही इतना मधुर है तो स्वयं ईश्वर कैसा होगा, संतजन इसीलिए उसकी महिमा का बखान करते नहीं थकते. उससे प्रेम करो तो वे हमारी बुद्धि को शुद्ध कर देते हैं. उसकी कृपा भी अनंत है जो भक्तों के लिए साकार भी हो जाता है, कितना आश्चर्य है कि वह अनंत मानव के छोटे से मन में प्रविष्ट हो जाता है. प्रकृति पहले हमें तैयार करती है फिर अपने रहस्य खोलती है. वह एक ही है जो विविध रूपों में व्यक्त हो रहा है. वही पालनहार है वही काल है. सब कुछ बदलने वाला है, वही एक अबदल है, जो सबका आधार है.

3 comments:

  1. प्रकृति पहले हमें तैयार करती है फिर अपने रहस्य खोलती है.

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  2. अनुपम जी व राहुल जी, स्वागत व आभार!

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