३ जनवरी २०१७
हम सभी स्वस्थ रहना चाहते हैं, और यह सोचते हैं यदि हमें कोई रोग नहीं है तो हम स्वस्थ हैं. किन्तु निरोगी और स्वस्थ दोनों के अर्थ में भिन्नता है. निरोगी का अर्थ है देह में रोग का न होना किन्तु स्वस्थ का अर्थ है स्व में स्थित होना. अर्थात कोई भी स्वस्थ तभी हो सकता है जब अपने मूल में, निजता में स्थित हो. रोग होने पर हमें दुःख का अनुभव होता है और निरोगी होने पर सुख का, किन्तु स्वस्थ होने पर एक ऐसे आनन्द की अनुभूति होती है जिसका कारण बाहरी नहीं है, यह भीतर से आता है. जिसने कभी स्व का अनुभव नहीं किया वह रोग आने पर अति व्याकुल हो जाता है, वह भीतर प्रवेश ही नहीं कर पाता और कभी कोई रोग न होने पर भी उसका मन अशांत हो सकता है. अतः पहले पहल तो निरोगी होने पर ही हम स्वस्थ हो सकते हैं पर एक बार यदि स्व का अनुभव हो गया हो तो कभी ऐसा भी हो सकता है की किसी कारणवश देह रोगी हो पर हम भीतर से शांत हों, आनन्दित हों.
तभी तो महर्षि रमन और रामकृष्ण परमहंस कैंसर होने के बावजूद स्वस्थ थे.
ReplyDeleteसही कहा है..स्वागत व बहुत बहुत आभार दीदी !
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