Thursday, January 19, 2017

छिपे आज में दोनों कल

२० जनवरी २०१७ 
आज तक न जाने कितनी बार हमें यह लगा है, एक दिन सब ठीक हो जाएगा, और अब वे बातें याद भी नहीं हैं जिनके ठीक होने की कभी हमने कामना की थी. अतीत जैसे स्वप्न हो गया है, भविष्य कैसा होगा यह इस बात पर निर्भर करता है कि हमारा आज कैसा है. वर्तमान ही भविष्य का बीज है, जैसा बीज वैसी फसल, सीधा सा हिसाब है, तो यही क्षण है जिसे हम आनंदित होकर जी सकते हैं.जो मिला था वह स्वप्न हो गया, जो मिलेगा वह आज के आनंद से ही उपजेगा, यही आध्यात्म हमें सिखाता है. वर्तमान का सुख ही एक दिन सुखद अतीत बनेगा और यही भविष्य की नींव है. वर्तमान में हमें सुखी होने से रोक रहे हैं यही दोनों, अतीत की स्मृतियां और भविष्य की कल्पना..समाधि है इनसे पार जाना. 

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