२५ जनवरी २०१७
हम जीवन में कितने ही व्यक्तियों से मिलते हैं. जिनमें कुछ के साथ थोड़े समय के लिए कुछ के साथ देर तक हम समय बिताते हैं. विचारों का आदान-प्रदान भी होता है और वस्तुओं का भी. इससे भी सूक्ष्म एक शै है जिसका आदान-प्रदान निरंतर चलता रहता है, चाहे वह व्यक्ति सम्मुख हो या हम उसके बारे में किसी से बात कर रहे हों, या उसके बारे में कुछ सोच रहे हों. किसी के प्रति हमारी भावना केवल हम तक सीमित नहीं रह पाती, वह तत्क्षण उस तक पहुँच जाती है. स्थूल से सूक्ष्म अति शक्तिशाली है. हम शब्दों का ध्यान रख लेते हैं और भीतर क्रोध रखते हुए भी बाहर से जाहिर नहीं करते, कभी-कभी इसका विपरीत भी हो सकता है. कोई भीतर प्रेम होते हुए भी बाहर से उदासीनता व्यक्त करे, पर दोनों ही स्थितियों में सूक्ष्म तरंगों के द्वारा हमारी वास्तविक भावनाएं उसके अंतरतम तक पहुँच जाती हैं, और भविष्य में उसका व्यवहार उनसे भी प्रभावित होगा. इसीलिए संत कहते हैं सदा हृदय से सबके लिए मंगल कामना करते रहें.
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