५ जनवरी २०१७
अध्यात्म हमें सिखाता है कि देह से परे चेतना का एक स्वतंत्र अस्तित्त्व है और वह अपने आप में सम्पूर्ण है. संसार हमें शरीर को रखने में सहायक हो सकता है पर अखंड आनंद का अनुभव नहीं करा सकता, उसे पाने का रास्ता अध्यात्म ने बताया है. जिसके द्वारा मानव सारे भयों से मुक्त हो सकता है, व्यर्थ के कार्यों से बच सकता है, अपनी ऊर्जा का पूरा सदुपयोग कर सकता है. अपने आस-पास के वातावरण को सुखमय तथा सुंदर बनाने में मदद कर सकता है. भीतर की शक्ति का अनुभव कराके वह दिव्यता को प्राप्त करा सकता है. जड़ अनित्य है, वह प्रतिक्षण बदल रहा है, चेतन अविनाशी है. उसे पाने का प्रयास नहीं करना पड़ता. जड़ से दृष्टि हटते ही वह स्वयं प्रकट हो जाता है. सारे क्लेशों से मुक्ति का नाम ही चेतना में स्थित होना है.
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