Saturday, March 25, 2017

निजता को जो पा जाये

२५ मार्च २०१७ 
हम जीवन को बाहर-बाहर से कितना सजाते हैं. सुख-सुविधा के साधन जुटाते हैं. धन, पद, संबंध और सम्मान में सुरक्षा खोजते हैं. किन्तु ऐसा करते समय हम यह भूल जाते हैं कि जीवन किसी भी क्षण बिखर सकता है. जीवन की नींव पानी की धार पर रखी है. हम अहंकार को जितना-जितना बढ़ाते जाते हैं उतना-उतना स्वयं से दूर निकल जाते हैं, स्वयं से दूर जाते ही हम जगत से भी दूर हो जाते हैं. अहंकार की परिणिति एक अकेलापन है और स्वय के पास आने का फल इस ब्रह्मांड से एकता का अनुभव होता है. हमें लगता है अहंकार हमें हमारी पहचान देता है, पर हमारी निजता उसी क्षण प्रकट होती है जब हम अहंकार से मुक्त हो जाते हैं. हमें हमारा वास्तविक परिचय तभी मिलता है जब भीतर परम का प्राकट्य होता है. उसी के प्रकाश में एक नये तरह के जीवन का स्वाद मिलता है, जिसमें न किसी अतीत का भार है न ही भविष्य की योजनायें. पल-पल हृदय वर्तमान के लघुपथ पर गुनगुनाता हुआ स्वयं को धन्य महसूस करता है. 

4 comments:

  1. ब्लॉग बुलेटिन की आज की बुलेटिन, "खुफिया रेडियो चलाने वाली गांधीवादी क्रांतिकारी - उषा मेहता “ , मे आप की पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !

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  2. बहुत बहुत आभार !

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  3. हमें हमारा वास्तविक परिचय तभी मिलता है जब भीतर परम का प्राकट्य होता है. उसी के प्रकाश में एक नये तरह के जीवन का स्वाद मिलता है, जिसमें न किसी अतीत का भार है न ही भविष्य की योजनायें.

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    1. स्वागत व आभार राहुल जी !

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