१२ मार्च २०१७
होली का उत्सव मनों में कितनी उमंग जगाता है, सारा वातावरण जैसे मस्ती के आलम में डूब जाता है. प्रकृति भी अपना सारा वैभव लुटाने को तैयार रहती है. बसंत और फागुन की मदमस्त बयार बहती है और जैसे सभी मनों को एक सूत्र में बांध देती है. उल्लास और उत्साह के इस पर्व पर कृष्ण और राधा की होली का स्मरण हो आना कितना स्वाभाविक है. कान्हा के प्रेम के रंग में एक बार जो भी रंग जाता है वह कभी भी उससे उबर नहीं पाता. प्रीत का रंग ही ऐसा गाढ़ा रंग है जो हर भक्त को सदा के लिए सराबोर कर देता है. मन के भीतर से सारी अशुभ कामनाओं को जब होली की अग्नि में जलाकर साधक खाली हो जाता है अर्थात उसका मन शुद्ध वस्त्र पहन लेता है तो परम उस पर अपने अनुराग का रंग बरसा देता है. अंतर में आह्लाद रूपी प्रहलाद का जन्म होता है, विकार रूपी होलिका भस्म हो जाती है और चारों ओर सुख बरसने लगता है. होली का यह अनोखा उत्सव भारत के मंगलमय गौरवशाली अतीत का अद्भुत भेंट है.
कान्हा के प्रेम के रंग में एक बार जो भी रंग जाता है वह कभी भी उससे उबर नहीं पाता. प्रीत का रंग ही ऐसा गाढ़ा रंग है जो हर भक्त को सदा के लिए सराबोर कर देता है. मन के भीतर से सारी अशुभ कामनाओं को जब होली की आग्नि में जलाकर साधक खाली हो जाता है अर्थात उसका मन शुद्ध वस्त्र पहन लेता है तो परम उस पर अपने अनुराग का रंग बरसा देता है.
ReplyDeletemain to pavitra holi ke rang me doob gaya hun.. aap sabo ko holi ki haardik badhai-shubhkaamnaayen...
स्वागत व आभार राहुल जी, आपको भी हार्दिक शुभकामनायें..
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