Wednesday, May 24, 2017

सहज मिले जब सुख का मोती

२५ मई २०१७ 
पंच इन्द्रियों से मिलने वाला सुख हमारी ऊर्जा को कम करता है, जब तक मन में प्रमाद और बुद्धि में जड़ता रहती है, अर्थात रजो गुण और तमो गुण अधिक होते हैं, हमें इस बात का आभास नहीं होता. सात्विक सुख की झलक मिल जाने के बाद ही समझ में आता है कि आज तक जिन्हें हम सुख के साधन मान रहे थे वास्तव में हमें दुर्बल बना रहे थे. अध्यात्म किसी भी तरह के प्रमाद और जड़ता को तोड़ने के लिए है. योग के द्वारा जब सतोगुण बढ़ता है भीतर सहज ही प्रसन्नता का अनुभव होता रहता है. ध्यान इस ऊर्जा को बढ़ाने का साधन है. 

2 comments:

  1. हाँ अनिता जी ! सहज रूप से कुछ पाने में ही मज़ा है क्योंकि सहजता ही तो साधुता है ।

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    1. स्वागत व आभार शकुंतला जी, सहजता ही साधुता है..सुंदर बात !

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