२२ मई २०१७
उपनिषद कहते हैं, ईश्वर, जीव और प्रकृति ये तीन शाश्वत तत्व हैं. ईश्वर ने जीव और
प्रकृति दोनों को आच्छादित किया हुआ है. प्रकृति जीव के हित के लिए है. जीव दोनों
पर आश्रित है, अपने भौतिक अस्तित्त्व के लिए वह प्रकृति पर आश्रित है तो आत्मिक
उन्नति के लिए ईश्वर पर. कभी वह प्रकृति के आकर्षण में डूब जाता है और कभी दुःख
पाने पर परमात्मा की ओर झुक जाता है. साधना के द्वारा जब वह अपनी प्रकृति से भिन्न
अपनी स्वतंत्र सत्ता का अनुभव कर लेता है, और परमात्मा के साथ अपनी अभिन्नता का
अनुभव कर लेता है तो उसके सारे संशय समाप्त हो जाते हैं.
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