२७ मई २०१७
आयुर्वेद के अनुसार हमारी आयु चार प्रकार की हो सकती है. सुखायु, दुखायु, हितायु और
अहितायु. सभी चाहते हैं उसका जीवन सुख से पूर्ण रहे, सदा ही उसका हित हो, दुःख अथवा
अहित कोई भी नहीं चाहता. किन्तु मात्र चाहने से ऐसा होता नहीं, हमारे कर्म ही यह
निर्धारित करते हैं कि इन चारों में से हमारी आयु कौन सी है. यदि किसी की देह
स्वस्थ हो, मन शांत हो, बुद्धि तीक्ष्ण व शुद्ध हो, आर्थिक रूप से कोई अभाव न हो,
समाज में यश हो अथवा तो अपयश न हो. परिवार में पूर्ण सामंजस्य हो, समाज व राष्ट्र
के प्रति अपने कर्त्तव्यों का निर्वहन ठीक से होता हो, धर्म व अध्यात्म की तरफ सहज
रूचि हो तो कहा जा सकता है उस व्यक्ति की आयु हितायु है. उसका वर्तमान जीवन ही
सुखपूर्ण व सार्थक नहीं है बल्कि आगे आने वाला जीवन भी सुखद होगा.
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