Monday, June 11, 2018

खिले सुमन सा मन जिस क्षण


११ जून २०१८ 
प्रकाश, हवा और जल के बिना एक नन्हा सा फूल भी आँखें नहीं खोल पाता, साथ ही उसे धरती का आधार भी चाहिए और बढ़ने के लिए आकाश भी. मानव मन के संबंध में प्रकाश ज्ञान का प्रतीक है, वायु सजगता का और जल प्रेम का, धरती है देह और आकाश है आत्मा. मन को यदि उड़ान भरनी है तो देह को स्वस्थ व सबल रखना होगा. शास्त्रों और गुरुजनों द्वारा बताए गये ज्ञान का अनुसरण करना होगा, अंतर में प्रेम को पनपने का अवसर देना होगा, यानि भावपक्ष भी सबल हो और बुद्धि पक्ष भी तभी मन आत्मा के आकाश में ऊपर और ऊपर जा सकता है, जहाँ जाकर सारे भेद समाप्त हो जाते हैं. जैसे एक बीज फूल बनकर तृप्त होता है, मन भी जब पूरा खिल जाता है, तभी तृप्ति का अनुभव करता है.

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