८ जून २०१८
आज के युग में तनाव या डिप्रेशन का होना एक सामान्य सी घटना
हो गयी है. व्यक्ति चाहे किसी भी उम्र का हो, किसी भी वर्ग, धर्म, जाति या लिंग का
हो, तनाव से ग्रस्त होना जैसे उसका मौलिक अधिकार बन गया है. आये दिन समाचार पत्रों
में इसके बार में हम पढ़ते ही रहते हैं. क्या इसका कोई समाधान है, संत कहते हैं,
जीवन आनंद से भरा है, शांति और प्रेम के धागों से बुना है, सुख और ज्ञान इसके फल
हैं. ऐसा जीवन पाने की एक ही शर्त है पवित्रता और आत्मशक्ति ! यदि जीवन में
अनुशासन हो, ध्यान और साधना के द्वारा आत्मशक्ति का संवर्धन हो तो तनाव उसी तरह
दूर रहता है जैसे प्रकाश के सम्मुख अँधेरा. कृष्ण कहते हैं, योग के मार्ग पर किया
गया अल्पप्रयास भी महान फल देने वाला होता है. स्वाध्याय, सत्संग, सेवा और साधना के
चार पहियों पर जीवन की गाड़ी सहज ही नई मंजिलों की ओर ले जाती है. यह एक ऐसा मार्ग
है जिसमें हर कदम पर पूर्णता भी है और आगे बढ़ते रहने की ललक भी. जहाँ प्रियतम के
साथ संयोग और वियोग एक साथ घटते हैं.
आज की लाइफ स्टाइल बदल गई है किये जा रहे कार्य में हर हाल में सफल दबाव बढ़ता जा रहा है |
ReplyDeleteसफलता का असली अर्थ जानना भी तो जरूरी है, मात्र आर्थिक रूप से सफल होना ही तो काफी नहीं है, हृदय में शांति का अनुभव होना भी उतना ही जरूरी है.
Deleteस्वागत व आभार अंशुमाला जी !
Deleteबहुत बहुत आभार शिवम जी !
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