२९ अगस्त २०१८
परमात्मा हमें हर कदम पर आगे
बढ़ने के लिए कितने ही अवसर देता है. हम कभी जड़ता और कभी भय के कारण उनका लाभ नहीं
ले पाते. यह जीवन सीखने के लिए मिला है और उस सीखे हुए को जगत के साथ व्यवहार में
अपनाने के लिए भी. आत्मा का विकास हो तभी वह प्रफ्फुलित रह सकती है. जैसे कोई
बच्चा यदि बिना पढ़ाये ही छोड़ दिया जाये तो वह अपना सामान्य जीवन भी ठीक से नहीं
चला पाता, वैसे ही आत्मिक विकास के बिना हम भावनात्मक रूप से पिछड़े हुए ही रह जाते
हैं. जीवन एक लम्बी यात्रा है, जिसमें अनेक जन्म लेते हुए हम यहाँ तक आ पहुँचे हैं.
यह जन्म मंजिल नहीं है, न ही मृत्यु इसका अंतिम पड़ाव है, अभी आगे जाना है. स्वयं
को जानकर यानि आत्मस्थित होकर ही हम इस यात्रा को सजगता पूर्वक कर सकते हैं. इसके
लिए हर तरह के प्रमाद और भय से मन को मुक्त करना होगा, जीवन जिस रूप में भी सम्मुख
आता है, उसे स्वीकार करना होगा और परमात्मा को सदा अपने निकट ही जानकर उसके प्रति श्रद्धा
को जगाये रखना होगा.
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