११ फरवरी २०१७
प्रकृति के हर काम में एक लय झलकती है. दिन-रात के होने और ऋतु परिवर्तन के अनुसार मन के भी मौसम होते हैं। उन्हें समझकर जो उनके अनुरूप स्वयं को ढाल लेता है, वह स्वस्थ रह सकता है। प्रातःकाल मन शांत होता है, उस समय का उपयोग स्वाध्याय व साधना में लगे तो दिन भर ताजगी रहेगी. जीवन में संगीत तभी प्रकटेगा जब एक लय हमारे मन, वचन तथा कर्मों में होगी। नियत समय पर नियत कार्य होते रहें तो मन देह से ऊपर जा सकता है, अन्यथा सामान्य जीवन से परे भी एक अलौकिक जीवन है, इसकी ओर दृष्टि ही नहीं जाती।
बहुत अच्छी बात कही!
ReplyDeleteसब कुछ लय के साथ साधने का मोल है.
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