२४ फरवरी २०१७
सुबह जब आकाश पर तारे भी दिखते हों और उषा की भनक भी मिलती हो, आकाश का गहरा नीला रंग और त्रयोदशी का पीला चाँद शिव के विशाल मनोहारी रूप का दर्शन कराता हुआ सा लगता है. गगन के समान सब जगह व्याप्त है शिव की सत्ता, उसकी उपस्थिति मात्र से सब ओर गहन शांति छा जाती है. शिव ही ऊर्जा है जो इस सृष्टि का मूल है, सृष्टि ही वह शक्ति है जो निरंतर शिव के साथ है पर फिर भी उससे पृथक. आत्मा और देह की भांति शिव और शक्ति एकदूसरे के पूरक हैं, शिव शक्ति के परे भी है जैसे आत्मा देह के बाद भी रहती है. शिवरात्रि वह रात्रि है जब शिव कृपा को अबाध पाया जा सकता है, अनुभव किया जा सकता है.
शिवरात्रि की शुभकामनाएंं।
ReplyDeleteमैं मग्न...मैं चिर मग्न हूँ...
ReplyDeleteमैं एकांत में उजाड़ हूँ...
*मैं शिव हूँ।* *मैं शिव हूँ।* *मैं शिव हूँ।*
ॐ नमः शिवाय !
Delete