८ फरवरी २०१७
संत कहते हैं मन में सदा मृत्यु का स्मरण रखना चाहिए, मृत्यु किसी भी पल हमें अपना ग्रास बना सकती है. वह हमारे दो कदम पीछे ही चल रही है साथ-साथ. वास्तव में हर पल हम अपनी मृत्यु के लिए मार्ग बना रहे हैं., हर नया दिन मृत्यु को और करीब ले आता है. हम इस सबसे अनभिज्ञ ऐसे जिए चले जाते हैं जैसे सदा ही बने रहेंगे. जीवन की भव्यता से भी परिचित नहीं पाते, यदि किसी को यह पता चल जाये कि कल उसे मरना है तो वह आज को किस शिद्दत से न जियेगा. संत ऐसे ही जीते हैं हर पल को गहराई से महसूस करते हुए, कुदरत के नजरों को देख निहाल होते हुए और मन को सदा हल्का और खाली रखते हुए. इसका अर्थ हुआ मृत्यु ही जीवन को सुंदर बनाती है.
सही बात। लगता नहीं है लोग मरना सोचते भी हैं फिर भी।
ReplyDeleteनहीं सोचते तभी मृत्यु निकट आने पर डरते हैं, एक बार उससे मित्रता कर ली जाये तो मृत्यु माँ ही है, काली माँ की तरह वह विश्राम देती है.
Deleteबहुत बहुत आभार !
ReplyDeleteसत्य के साथ ज़िन्दगी थोड़ी आसान हो जाती है
ReplyDeleteआपने बिलकुल सही कहा है रश्मिजी..आभार !
Deleteसंत ऐसे ही जीते हैं हर पल को गहराई से महसूस करते हुए.....
ReplyDeleteऔर वे हमसे भी यही चाहते हैं..आभार !
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