७ फरवरी २०१७
सत्व, रज और तम इन तीनों गुणों से सारी प्रकृति आच्छादित है. सत्व गुण प्रकाश, सुख और ज्ञान को बढ़ाता है. रज हमें क्रियाशील बनाता है और तम निद्रा और जड़ता का कारण है. हमारा जीवन तभी सुंदर होगा जब रज और तम ये दोनों गुण संतुलित मात्रा में हों. आज समाज में जो दुःख और विषाद छाया है, उसका कारण तमस की अधिकता है. बच्चे और युवा रजस की अधिकता से पीड़ित हैं, वे शांत बैठना नहीं चाहते, नींद का समय खिसकते-खिसकते आधी रात तक चला गया है. आधुनिक गैजेट्स उनके मस्तिष्क को उत्तेजित किये रहते हैं. सत्व की अधिकता होने पर व्यक्ति मुक्ति की ओर सहज ही कदम बढ़ाता है और सत्व की कमी होने पर रोगों का शिकार हो जाता है. अब प्रश्न यह उठता है कि सत्व को कैसे बढ़ाएं, सात्विक भोजन, सात्विक दिनचर्या अर्थात योग साधना से दिन का आरम्भ, नियमित स्वाध्याय, जीवन में अनुशासन, ध्यान का अभ्यास आदि सत्व गुण को पोषित करते हैं. देह स्वस्थ हो, मन शांत हो और बुद्धि तीक्ष्ण हो यह कौन नहीं चाहता, इसके लिए आवश्यक है कि रज और तम को धीरे-धीरे कम करते जाएँ.
ReplyDeleteदेह स्वस्थ्य व मन शांत हो तो जीवन का हर पल सार्थक हो सकता है.
स्वागत व आभार राहुल जी !
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