Tuesday, March 7, 2017

निज अनुभव जब उसे बना लें

८ मार्च २०१७ 
घोर अंधकार में जब हाथ को हाथ नहीं सूझता हो, अचानक तेज बिजली चमक जाये तो पल भर को सब कुछ साफ-साफ दिखाई देने लगता है. जीवन यात्रा में चलते समय भी जब कभी ऐसा समय आता है कि कुछ नहीं सूझता, तब अचानक किसी हृदय की गहराई से निकला हुआ कोई सूत्र  वस्तुओं को स्पष्ट दिखा देता है. सत्य ऐसा ही होता है, वह राह दिखाता है, समाधान करता है, सत्य का अभ्यास नहीं करना होता, सत्य को अनुभव करना होता है और वह तब तक नहीं होता जब तक अनुकूल परिस्थिति न आ गयी हो. उसके पहले हम बौद्धिक रूप से कितना ही दोहराते रहें पर जब तक कोई सत्य हमने स्वयं अनुभव नहीं किया हमारे लिए वह सार्थक नहीं हो पाता. हम सभी कहते हैं जीवन क्षणिक है, यहाँ सब कुछ पल-पल बदल रहा है, पर ऐसे जिए चले जाते हैं जैसे सदा के लिए यहाँ रहना हो, संग्रह करने की प्रवृत्ति हमें देने के अतुलनीय सुख से वंचित रखती है. देह मिटने वाली है यह कहते हुए भी सुबह से शाम तक हम देह का ही ध्यान रखते हैं, जैसे कोई व्यक्ति कार का ही ध्यान रखे पर ड्राइवर को उपेक्षित  रखे, ऐसे ही हम देह को तो पूरा आराम देते हैं पर मन को विश्राम नहीं देते. ज्ञान का सम्मान करने से ही जीवन उस ज्ञान का साक्षी बनता है. 

2 comments:

  1. जीवन यात्रा में चलते समय भी जब कभी ऐसा समय आता है कि कुछ नहीं सूझता, तब अचानक किसी हृदय की गहराई से निकला हुआ कोई सूत्र वस्तुओं को स्पष्ट दिखा देता है. सत्य ऐसा ही होता है, वह राह दिखाता है, समाधान करता है, सत्य का अभ्यास नहीं करना होता, सत्य को अनुभव करना होता है.

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  2. स्वागत व आभार राहुल जी !

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