Wednesday, December 21, 2011

उपवास कैसा हो


अगस्त २००२ 
आज एकादशी है, यानि पाक्षिक उपवास का दिन. सही मायने में उप-वास (निकट वास ) तभी होगा जब मन भगवद् भाव से परिपूर्ण रहे, यानि ईश्वर के निकट वास करे. भगवद् प्रेम की एक बूंद भी मन को भरने के लिये पर्याप्त है, वही मन जो संसार भर की वस्तुएं पाकर भी अतृप्त ही रहता है. ईश प्रेम में पूर्णता है, ज्ञान और आनंद का स्रोत भी वही है. उसका विस्मरण ही विकारों को हम पर अधिकार करने में सक्षम बनाता है, वरना तो दुःख हमें छू भी नहीं सकता. ऐसा प्रेम यदि हृदय में हो तो सृष्टि में कुछ भी अनचाहा नहीं रह जाता. सभी अपने हो जाते हैं. सभी के प्रति यदि समता का भाव रहेगा तो विषाद का स्थान कहाँ है ? न बाहर न भीतर, क्योंकि दोनों जगह तो वही है.


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