अप्रैल २००३
सत्य हमारे जीवन में प्रकाश बनकर आता है और हम जो अंधकार में भटकते-भटकते अपने
कारण लहुलुहान हो रहे थे, वस्तुओं को स्पष्ट देखने लगते हैं. वर्षों-वर्षों से जो
जंगल हमने अपने मन में उगा रखा था, मन जो खंडहर सा बन गया था जहाँ सूर्य की रौशनी
भी नहीं पहुँच पाती थी एकाएक चमकने लगता है और हमें उस जंगल को साफ कर उपवन उगाने
का बल मिलता है. जहाँ सूनापन था वहाँ उस
परम को आसीन करने का सम्बल मिलता है जीवन तब मधुर संगीत बन जाता है. तब शास्त्रों
के रहस्य ऐसे खुलने लगते हैं जैसे हथेली पर रखा हुआ फल हो. ऐसा सत्य का प्रकाश
सदगुरु के पदार्पण से शीघ्र मिलता है, वरना जन्मों तक हम उसकी तलाश में भटकते रहते
हैं.
तभी कहा है गुरु बिन गत नहीं ... सत्य का मार्ग, प्रकाश का मार्ग गुरु के साथ आसान हो जाता है ....
ReplyDeleteआपने सही कहा है, आभार!
Deleteसत्य का प्रकाश हमेशा राह दिखाता है
ReplyDeleteसत्यमं शिवम सुन्दरम,,,,,सत्य ही जीवन की राह दिखाता है,और जीना आसान हो जाता है
ReplyDeleteबहुत सुंदर प्रस्तुति,,,,,,
RECENT POST .... काव्यान्जलि ...: अकेलापन,,,,,
या प्रकाश ही सत्य है |
ReplyDeleteहाँ, ऐसे भी कह सकते हैं लेकिन यह प्रकाश दिव्य है...
Deleteरश्मि जी व धीरेन्द्र जी आपका स्वागत व आभार !
ReplyDeleteसत्य कहा आपने।
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