मई २००३
ज्ञान वही है जो वक्त पर काम आये, नहीं तो मस्तिष्क पर बोझ डालने जैसा ही है. जो
वस्तु, व्यक्ति व परिस्थिति को को नहीं स्वीकारते, वही दुखी होते हैं, जो मुसीबत
आने पर मुस्कान से किनारा कर लेते हैं, वे कहाँ तत्व को जान पाए. जब ज्ञान के अवसर
का उपयोग आये तब हम अक्सर चूक जाते हैं. अध्यात्म की दुनिया अनंत है, उसमें कोई
सीमा हो ही नहीं सकती. वह मुक्त करती है. आत्मा की शक्ति का परिचय हमें इसी दुनिया
में मिलता है. वह दुनिया इसी दुनिया में है, बल्कि यह दुनिया, यह छोटा सा जगत उस
अनंत दुनिया में समाया है. हमें तो बंधन पसंद है सो उस अनंत दुनिया से हम वास्ता
नहीं रखते. पर जब बंधन बोझ लगने लगे, कोई पूर्व पुण्य उदय हो जाये, कृपा हो जाये
तो उस अनंत दुनिया के द्वार हमारे लिये खुलने लगते हैं.
gyanvardhak ...alekh ..
ReplyDeleteabhar Anita ji ..
ज्ञान वही है जो वक्त पर काम आये, नहीं तो मस्तिष्क पर बोझ डालने जैसा ..
ReplyDeleteपुस्तक स्थे तू या विद्या , पर हस्ते गतं धनं
कार्य काले समुत्पन्ने न सा विद्या न तत धनं
ज्ञान वही है जो वक्त पर काम आये,
ReplyDeleteसार्थक अभिव्यक्ति,,,,,
MY RECENT POST काव्यान्जलि ...: बहुत बहुत आभार ,,
सच है ज्ञान का पता तभी चलता है जब उसकी कसौटी का वक़्त आता है ।
ReplyDeleteअनुपमा जी, रमाकांत जी, धीरेन्द्र जी व इमरान आप सभी इस ब्लॉग के नियमित पाठक है, मुझे बहुत खुशी है कि आप समय निकल कर पढ़ते ही नहीं अपनी राय भी देते हैं, आप सभी का स्वागत व आभार !
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