मई २००३
इस संसार से जो भी हम प्राप्त करते हैं उसके पीछे दुःख छिपा हुआ है. एक बार जब
बुद्धि इस सत्य को जान लेती है तो भीतर गए बिना कोई रस्ता नहीं बचता और वहाँ आनंद
बरस ही रहा है. उसके बाद जगत का दुःख सहन नहीं होता. तब सहज वैराग्य का जन्म होता
है. और जब यह क्षण जीवन में आता है जीवन संगीतमय हो जाता है. अधरों से मुस्कुराहट
कभी जाती नहीं. आँखों में एक रहस्य छिपा रहता है. तब जीवन में उपरति हो जाती है.
हर कार्य एक खेल लगता है. तब जीना कितना सहज और सरल हो जाता है.
अति सुंदर ...!!
ReplyDeleteआभार अनीता जी .
बहुत उम्दा अभिव्यक्ति,,,आभार
ReplyDeleteMY RECENT POST...:चाय....
जब बुद्धि इस सत्य को जान लेती है तो भीतर गए बिना कोई रस्ता नहीं बचता
ReplyDeletetruth of life
इसी पथ पर अग्रसर हैं ।
ReplyDeleteअनुपमा जी, धीरेन्द्र जी, रमाकांत जी, व इमरान स्वागत इस सुंदर पथ पर...
Deleteबहुत ही अच्छी प्रस्तुति ।
ReplyDeleteतब जीवन में उपरति हो जाती है. हर कार्य एक खेल लगता है. तब जीना कितना सहज और सरल हो जाता है.
ReplyDeleteबहुत सुन्दर सार .