श्वास के माध्यम से हम निरंतर आत्मा में स्थित रह सकते हैं, श्वास की माला सदा चल
रही है, यदि हम उसके प्रति सचेत भर हो जायें तो वर्तमान में रहने लगते हैं. शांति,
आनंद तथा प्रेम हमारे भीतर की गहराई में हैं ही, हृदयरूपी सागर से मथ कर हमें
इन्हें ऊपर भर लाना है. वर्तमान सदा तृप्त है, वह काल के अनंत फैलाव में एक सा है,
श्वास के प्रति सजग होते ही विचारों के प्रति सजगता बढ़ जाती है. विचार ही कर्म को
जन्म देते हैं. अन्ततः श्वास ही मन का आधार है. श्वास ही ऊर्जा है.
कोशिश जारी है।
ReplyDeleteआमीन!
Deleteजी हाँ ! श्वास ही उर्जा का स्त्रोत है
ReplyDeleteरितु जी, आभार !
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