मई २००३
जीवन एक दीर्घ यात्रा है, और उसमें इस शरीर से मिला जीवन तो एक पड़ाव भर है, अगला
जन्म यानि अगला पड़ाव. जैसे मंदिर में जाने के लिये सीढ़ियाँ होती हैं वैसे ही अपनी
असली मंजिल पर जाने के लिये यह जीवन व मृत्यु सीढ़ी की तरह है. यहाँ कुछ भी
चिरस्थायी नहीं है न ही हमारे साथ जाने वाला है सिवाय उस आत्मिक शांति के जो हमारा
जन्मसिद्ध अधिकार है. ज्ञान ही हमारा लक्ष्य है और उस ज्ञान के पथ पर आत्मिक शांति
फल है, प्रेम हमारा पाथेय है, और भक्ति शीतल जल. यह रास्ता बहुत दुर्गम होते हुए
भी सरल है क्योंकि इस पर हमारे साथ परमात्मा चलते हैं वह पग-पग पर हमें सम्भालते
हैं, उन्होंने हमें अकेला नहीं छोड़ा है, वह हर क्षण हमारे साथ हैं.
ज्ञान ही हमारा लक्ष्य है और उस ज्ञान के पथ पर आत्मिक शांति फल है, प्रेम हमारा पाथेय है,
ReplyDeleteजीवन एक दीर्घ यात्रा है, और उसमें इस शरीर से मिला जीवन तो एक पड़ाव भर है, अगला जन्म यानि अगला पड़ाव.
ReplyDeleteसत्य वचन
प्रशसनीय.... मेरे नए पोस्ट पर आपका स्वागत है। धन्यवाद।
ReplyDeleteबहुत ही सुन्दर ज्ञानवर्धन करती प्रेरक प्रस्तुति.
ReplyDeleteबहुत बहुत आभार अनीता जी.
एक और प्रेरक विचार।
ReplyDeleteसुन्दर और ज्ञानवर्धक आलेख।
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