मई २००३
हे परमेश्वर ! हमारा आज का दिन मंगलमय हो, अंतर में शांति का साम्राज्य
बना रहे. उसे कोई भी न तोड़ सके, मन समता से भरपूर हो. जो सुखकारी हो, मंगलकारी हो ऐसा वातावरण हम बनाएँ, सत्य वाणी ही हम बोलें. कर्म परम लक्ष्य
की ओर ले जाने वाले हों. नियमपूर्वक अविरत हम अपना नियत कर्म पूरा करें, प्रमाद
हमें छू भी न पाए. सौम्यता, कोमलता और मधुरता हमारे आभूषण बनें हमारी प्रार्थना
में पुरुषार्थ हो, श्रम हो तभी हमारी प्रार्थना सफल होगी. कभी-कभी जीवन हमारी
परीक्षा लेता है, इसमें ईश्वर पर अटूट विश्वास ही हमें स्थिर रख सकता है. जो कुछ
भी हो रहा है उसके पीछे कोई न कोई उद्देश्य है, धागे जो उलझ गए हैं अपने आप ही
सुलझ जायेंगे, जहाँ अंधकार नजर आता है कल वहीं उजाला होगा. अभी जहाँ उलझाव है वहीं
उसके पीछे उसका हल है जो हमें अभी नजर न आ तरह हो पर भविष्य में आयेगा. वह परम
चेतना हम सब के भीतर है, सभी को निर्देश दे रही है. हम सभी सुरक्षित हाथों में
हैं.
बिल्कुल सही .. अनुपम प्रस्तुति।
ReplyDeleteसौम्यता, कोमलता और मधुरता हमारे आभूषण बनें हमारि प्रार्थना में पुरुषार्थ हो, श्रम हो तभी हमारी प्रार्थना सफल होगी.
ReplyDeletejiwan ka saty.
सच्ची और सुन्दर प्रार्थना ।
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