Tuesday, April 16, 2019

है अपार महिमा उसकी


हम परमात्मा की महिमा के गीत गाते हैं, कि वह सर्वज्ञ है, वह अनादि है, अनंत है, वह परम कृपालु है, अन्तर्यामी है और परम स्नेही है. यदि हमारी भावनाएं सच्ची हैं तो ऐसा करके हम अपनी ही सम्भावनाओं को तलाशते हैं. परम की महिमा एक दिन हमें अपने भीतर के सत्य से मिला देती है. हर व्यक्ति अपने ज्ञान को बढ़ाना चाहता है, किसी को भी अपने जन्म का कोई अनुभव नहीं, हम सदा से ही स्वयं को जानते हैं और न ही हमें कभी यह लगता है कि एक दिन हम नहीं रहेंगे. उसकी कृपा को अनुभव करने वाला हृदय अन्यों पर दया करना अनायास ही सीख जाता है. स्नेह का वह स्रोत, जो सबके भीतर गहराई में बहता है और ज्यादातर लोग जीवन भर उससे अछूते ही रह जाते हैं,  उसके जीवन में प्रवाहित होने लगता है और उसे ही नहीं आसपास के लोगों को भी भिगोता हुआ बहता है.

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