जून २००२
आज पूर्णिमा है. हमारे हृदय गगन में भी परमात्मा रूपी चन्द्रमा का आगमन हो ऐसी कामना करनी चाहिए. मन शांत हो, ध्यानस्थ हो, परमात्मा की छवि हटे नहीं. सुमिरन अपने आप चलता रहे. सत्य को छोडकर कोई विचार मन में न टिके. एक उसी की याद हर वक्त बनी रहे और तब एक ऐसी गहराई का अनुभव होता है जैसे सब कुछ ठहर गया हो. सारा जगत स्थिर हो मन की तरह, कहीं कोई उहापोह नहीं विक्षेप नहीं. अद्भुत है वर्तमान का यह क्षण. हमारे और उसके बीच अभिमान का झीना सा पर्दा ही तो है, इसे हटा दें तो ही पूर्ण समर्पण संभव है.
अनीता जी बहुत खूब.
ReplyDeleteबधाई....मेरे नई पोस्ट में आपका स्वागत है