Friday, February 3, 2012

नारायण और अष्ट लक्ष्मी-साध्य और साधन



धैर्य लक्ष्मी यदि हमारे पास हो तो आध्यात्मिक मार्ग में हम विचलित नहीं होते. विद्या, धन, धैर्य, धान्य, राज, साहस, भाग्य व संकल्प ये आठ लक्ष्मियाँ हैं, हममें से सभी के पास जिनका कुछ न कुछ अंश रहता ही है. किन्तु लक्ष्मी लक्ष्य नहीं है, नारायण तक पहुंचने का साधन मात्र है. हमें लक्ष्मी को प्राप्त करना ही है यदि नारायण के पास पहुंचना है. नारायण पूर्ण है, तभी वह प्रेमस्वरूप है, उन्हें कुछ पाना नहीं है, कुछ होना नहीं है. जब हमारी चेतना पूर्ण होती है भीतर कृतज्ञता की भावना उठती है. चेतना की पूर्णता को अहंकार ही ढकता है. जब तक हम अपनी वास्तविक स्थिति से परिचित नहीं होते, कुछ न कुछ पाने की चाह बनी ही रहती है. हृदय की संपदा को भुला कर स्वयं को सुखी-दुखी करते रहते हैं. विपरीत तभी तक हमें प्रभावित करते हैं जब तक यह ज्ञान नहीं होता. 

3 comments:

  1. मार्ग प्रकाशित करती एक और रचना ...यद्यपि मैं इसे सलाह कहूँगा !

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  2. विद्या, धन, धैर्य, धान्य,
    राज, साहस, भाग्य व संकल्प
    ASHTA LUXMI KI JANKARI SAHIT DHAIRYA LUXMI KI MAHATTA
    KE LIYE DHANYWAD

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  3. हृदय की संपदा को भुला कर स्वयं को सुखी-दुखी करते रहते हैं. विपरीत तभी तक हमें प्रभावित करते हैं जब तक यह ज्ञान नहीं होता.

    bahut badhia ....

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