Thursday, February 23, 2012

कैसे कैसे अनुभव


जनवरी २००३ 
राम विश्राम में है ऐसा संत जन कहते हैं, सामान्य नींद की जगह शवासन करें तो शरीर में उठने वाली छोटी से छोटी संवेदना को भी महसूस किया जा सकता है. यह एक सुखद अनुभव है. देह में प्राण ऊर्जा का विचरण भी महसूस किया जा सकता है. त्राटक में स्टील के ग्लास के किनारों को कई परतों में बंटते देखना और उस पर प्रकाश के सात रंगों की चमक भी अनोखा अनुभव है. फर्श या दीवार की सतह का आकर्षक रूप धारण करना, प्रकाश के एक बिंदु का विस्तृत होते जाना, एकटक देखने पर किसी वस्तु का हिलना तथा आँखें बंद करके भी टीवी स्क्रीन दिखाई देना और कानों में एक मधुर ध्वनि का निरंतर सुनाई देना यह सारे अनुभव एक साधक को इस जगत में होते हुए भी इस जगत से परे रखते हैं. यह जगत जैसा हमें दिखाई देता है वैसा ही नहीं भी हो सकता. यह हमारी नजर पर ही निर्भर करता है. हमारा मन ही इस जगत की उत्पत्ति का कारण है. 

3 comments:

  1. पठनीय लेख..
    kalamdaan.blogspot.in

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  2. कैलाश जी, व रितु जी, स्वागत व आभार!

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