फरवरी २००३
सत्संग में हृदय में कितने पवित्र भाव
उठते हैं. हमारे जीवन में तेज हो, भगवद् तेज और आध्यात्मिक तेज. जो तभी आता है जब अंतर
में क्षमा हो, धैर्य हो और पवित्रता हो. पवित्रता विचारों में, वाणी में, कर्म
में. भोजन सात्विक हो, शुद्ध हो, सुपाच्य हो. स्नेह से बनाया गया हो. परोसते समय
हृदय में निर्दोष प्रसन्नता हो. बनाते समय हृदय शांत हो. आँख देखने योग्य ही देखे और
कान भी सद्विचारों को ग्रहण करें. इस जगत में जब राम व कृष्ण की निंदा करने वाले
मौजूद हैं तो हमारी निंदा हो इसमें आश्चर्य क्या, उसे व्यर्थ की बात जानकर छोड़ देना
ही ठीक होगा. संयम, नियम और दृढ़ इच्छा शक्ति हमारे मन को मांजती है, वह चमक उठता
है और तब उसमें परम झलकता है. जिस सत्संग में ऐसे सुंदर विचार मिलें उसकी जितनी कद्र
की जाये कम है. सदगुरु हृदय को अंधकार से प्रकाश में ले आते हैं. आत्मा का सूरज तो
सबके हृदय में है पर बादलों से ढका है, संत वाणी की शीतल लहर इन बादलों को उड़ा ले जाती है सब कुछ कितना स्पष्ट
हो जाता है, अंतर में एक ऐसा आनंद का, कृतज्ञता का, प्रेम का भाव उठता है कि उसके
सम्मुख कुछ भी नहीं ठहरता.
खिल गया मन इतने सुंदर वचन पढ़कर ....!!
ReplyDeleteआभार ...!
सत्य वचन.
ReplyDeleteपढकर बहुत शान्ति मिली.
आपके सद्चिन्तन को नमन.
संयम, नियम और दृढ़ इच्छा शक्ति हमारे मन को मांजती है, वह चमक उठता है और तब उसमें परम झलकता है.
ReplyDeletesundar sarthak vichar.
अच्छे लोगों की संगति का सदैव अच्छा असर होता है।
ReplyDeleteसत्ंग पर आपका पोस्ट बेहद प्रभावकारीलगा । मेरे नए पोस्ट पर आपका स्वागत है । धन्यवाद ।
ReplyDeleteबिलकुल सही कहा आपने..
ReplyDeleteAnupama Tripathi has left a new comment on your post "संत वचन पर करें विचार":
ReplyDeleteखिल गया मन इतने सुंदर वचन पढ़कर ....!!
आभार ...!
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Posted by Anupama Tripathi to डायरी के पन्नों से at April 29, 2012 5:35 AM
आप सभी का हार्दिक आभार!
ReplyDeletesatya vachan
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