Wednesday, July 6, 2011

मन से परे


यदि कोई सुख और शांति चाहता है तो उसे आध्यात्मिकता को अपनाना ही होगा. अध्यात्म का अर्थ है अपने भीतर उतरना, भीतर का संयोजन, शोधन व आत्म विश्लेषण. ऊपरी मन बहुरुपिया है, कभी उत्थान की ओर जाता है कभी पतन की ओर ले जाता है. कभी संयमी हो जाता है कभी विलासी. मात्र इसके सहारे रहे तो हम कभी शाश्वत सुख नहीं पा सकते. इससे परे एक ऐसा मन भी हमारे पास है जो निर्विकार है. जहाँ उतर-चढ़ाव नहीं हैं, जो परम आनंद का स्रोत है. अभ्यास व वैराग्य के द्वारा वहाँ तक पहुंचना ही अध्यात्म है. 

1 comment:

  1. प्रयास जारी है.और प्रयास में ही इतना आनंद है कि मन होता है सबको साथ ले चलें .

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