जुलाई २००१
ईश्वर को प्रेम करने का अर्थ संसार विरोधी हो जाना नहीं है. जब हमारे जीवन में प्रेम होता है तो वह सबके लिये होता है उसमे सारी समष्टि समा जाती है. ईश्वर, प्रकृति, मानव उससे कुछ भी अछूता नहीं रहता. प्रेम की बाढ़ सब कुछ बहा कर ले जाती है, उसमें गहन ऊर्जा छिपी है, जो आस-पास की हर वस्तु को एक नए दृष्टिकोण से दिखाती है.
sundar
ReplyDeleteलिकं हैhttp://bachpan ke din-vishy.blogspot.com/
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तभी तो कहते हैं -
ReplyDeletelove sees no faults .