Friday, July 29, 2011

ईश्वरीय प्रेम


जुलाई २००१ 
ईश्वर को प्रेम करने का अर्थ संसार विरोधी हो जाना नहीं है. जब हमारे जीवन में प्रेम होता है तो वह सबके लिये होता है उसमे सारी समष्टि समा जाती है. ईश्वर, प्रकृति, मानव उससे कुछ भी अछूता नहीं रहता. प्रेम की बाढ़ सब कुछ बहा कर ले जाती है, उसमें गहन ऊर्जा छिपी है, जो आस-पास की हर वस्तु को एक नए दृष्टिकोण से दिखाती है.

2 comments:

  1. sundar

    लिकं हैhttp://bachpan ke din-vishy.blogspot.com/
    अगर आपको love everbody का यह प्रयास पसंद आया हो, तो कृपया फॉलोअर बन कर हमारा उत्साह अवश्य बढ़ाएँ।

    ReplyDelete
  2. तभी तो कहते हैं -
    love sees no faults .

    ReplyDelete