मई २००१
किसान यदि बीज बोते हुए सजग है तो फल अपने आप ही अच्छा आयेगा. कर्म करते समय यदि हम सजग रहें तो कर्म के फल की चिंता करने की जरूरत नहीं रहेगी. प्रकृति के इस नियम को जिसने मात्र बुद्धि के स्तर पर नहीं, अनुभूति के स्तर पर समझ लिया तो धर्म उसके जीवन में स्वतः आ जायेगा. धर्म सरल है उनके लिये जो चित्त से सरल हैं. करेले का बीज लगाकर कोई आम की आशा करे तो उसे क्या कहेंगे ऐसे ही कोई भी कर्म चाहे वह कितना ही छोटा हो स्वार्थ वश, मलिन भाव से अथवा क्रोध से किया गया हो तो परिणाम दुखद ही होगा. भीतर यदि संकीर्णता हो तो बाहर का सुख भी व्यर्थ ही सिद्ध होता है.
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