अक्तूबर २००१
जीवन में कुछ नियमों के पालन से मार्ग प्रशस्त हो जाता है और हम मुक्ति की ओर स्वतः ही चल पड़ते हैं. अनुशासन और नियंत्रण हमारे जीवन को बंधन मुक्त ही करते हैं बंधन में डालते नहीं हैं. परमात्मा का लक्ष्य रहने से वही हमारी जिम्मेदारी ले लेते हैं, जीवन तब जिस किसी रूप में हमारे सम्मुख आता है मुक्त हृदय से उसका स्वागत करना हम सीखते हैं.
छोटी-छोटी बातें हैं जो जीवन की दिशा बदलती हैं ..और हम उन्हें ही बिसरा देते हैं.....!!
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