अगस्त २००१
यह जीवन जो हमें ईश्वर से उपहार स्वरूप मिला है, उसी का दिया है, वही इसे चलाता, पोषता और सम्भालता है. फिर भी हम कहते हैं उसके लिए हमारे पास समय नहीं है. सारा समय तो उसी का है. उसको पाना कितना सरल है., कितना सहज जैसे श्वास लेना लेकिन हम ढंग से श्वास भी तो लेना नहीं जानते. उथली श्वास लेते हैं जो उथले विचारों को दर्शाती है. श्वास के प्रति जागरूक रहकर हम वर्तमान में रह सकते हैं अन्यथा भूत या भविष्य की कल्पनाएँ हमारा पीछा नहीं छोडती. यह सहज ध्यान है.
बिल्कुल सही ,ऐसा ही मेरा अनुभव है भूत भविष्य की कल्पनाओं से पीछा छुड़वाने के लिए .
ReplyDeleteश्वास पर ध्यान करने से बहुत सी सिद्धियां मिलती हैं।
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