२ दिसंबर २०१६
जब हम ऋत के नियमों का पालन करते हैं, उसके साथ जो एक हो जाते हैं, तब जीवन से द्वंद्व मिट जाता है. आचरण को जो शुद्ध कर लेता है बहुत सारी परेशानियों से बच जाता है, किन्तु जो न प्रकृति के साथ एक होता है न ही सामान्य आचार का सम्मान करता है वह दुःख को निमन्त्रण दे रहा होता है. परमात्मा अथवा प्रकृति हर हाल में सबके प्रति समान व्यव्यहार करती है हम स्वयं ही अपने भाग्य का निर्माण करते हैं.
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