Friday, December 2, 2016

प्यास लिए मनवा हमारा यह तरसे


जीवन का उद्देश्य क्या है, यदि कोई गहराई से इस पर सोचे तो यही निष्कर्ष निकलता है कि  हर आत्मा अखंड प्रसन्नता का अनुभव करना चाहती है. उसके सारे  प्रयास इसी दिशा में होते रहते हैं. इन्द्रियों के विषयों के द्वारा सुख प्राप्त करना उसमें सबसे पहला साधन है. धन के बिना यह सम्भव नहीं तो मानव श्रम करता है, सुख-सुविधा के साधन जुटाता है. विकास की ओर  बढ़ता हुआ समाज उसी सुख की आशा करता है जो आत्मा की पुकार है. समाज सेवा के द्वारा भी कुछ लोग संतोष  का अनुभव करते हैं और कई पुण्य  कमाकर, किन्तु बहुत कम लोग ऐसे होते हैं जो इस सच्चाई को स्वीकार करते हैं कि जिस सुख की तलाश वह बाहर कर रहे हैं वह सहज ही उन्हें  मिल सकता है. ऐसा सुख ही अनवरत बहती हुई धारा  की तरह निरंतर उन्हें तृप्त कर सकता है. इसके बाद वे जो कुछ भी करते हैं उसके पीछे कुछ पाने की कामना नहीं रहती बल्कि भीतर का संतोष ही कृत्यों के रूप में बाहर प्रकट होता है.

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