१३ दिसम्बर २०१६
अस्तित्त्व ने हमें सब कुछ दिया है, यह सुंदर सृष्टि उसने हमारे लिए ही बनाई है. इस जाते हुए वर्ष के अंतिम दिनों में एक बार रुककर हम भी यह क्यों न पूछें कि वह हमसे क्या चाहता है, उसके प्रति हमारा क्या देय है. हम उसे क्या उपहार दे सकते हैं. शायद वह इतना ही चाहता है कि हम उससे जुड़े रहें, उससे अपने दिल का हाल कहें, पल-पल घटने वाले उसके चमत्कारों को आश्चर्य भरे भाव से निहारें। वर्तमान में चलते हुए हमारी नजरें सुखद भविष्य की ओर लगी रहें, जो हम भावी पीढ़ी के लिए छोड़ जाने वाले हैं.
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