४ मार्च २०१९
वर्ष के ग्याहरवें महीने फाल्गुन के कृष्ण पक्ष की अमावस्या के एक दिन पहले जब अंधकार
का पूर्ण साम्राज्य छाने ही वाला होता है, शिव की आराधना की जाती है. शिव कल्याणकारी
हैं, वह संहारशक्ति और तमोगुण के अधिष्ठाता हैं. वह परम विरक्त हैं. उग्र होते हुए
भी सौम्य हैं. रात्रि का आगमन होते ही सूर्य अस्त हो जाता है, प्रकृति की सारी
गतिविधियाँ शांत हो जाती हैं, निद्रा में चेतना भी खो सी जाती है. इसलिए शिव का
अवतरण दिवस शिवरात्रि के रूप में मनाया जाता है. शास्त्रों के अनुसार इस दिन शिव
रूपी ब्रह्मांडीय ऊर्जा को रात्रि जागरण काल में साधक द्वारा सहज ही ग्रहण किया जा
सकता है. इस उपासना के फलस्वरूप साधक के हृदय से काम, क्रोध, लोभ आदि विकारों का
नाश होता है और परम शांति, सुख व प्रेम का प्रसार होता है.
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