यह पृथ्वी हमारा घर
है, इसका नीला समुन्दर और विशाल गगन मंडल हमारी कल्पनाओं को बहने और उड़ने के लिए एक
सहज और सुंदर आधार देता है. हरे-भरे जंगल और सुंदर पशु-पक्षी इसको कितना आकर्षक
बनाते हैं. यह सुंदर पृथ्वी विभिन्न अन्नों व फलों-शाकों से हमें पोषित करती है. चन्द्र
और सूर्य रात और दिन के प्रहरी की तरह जीवन को विकसित होने के लिए ऊष्मा देते हैं.
मानव की गरिमा इस बात में है कि वह इस सारे आयोजन का साक्षी है, वह चाहे इसमें
अपना अल्प योगदान ही दे सकता हो किन्तु यदि उसकी चेतना विकसित होकर इसका आनंद भी
लेना सीख जाती है, तो परमात्मा का तात्पर्य सिद्ध हो गया जानना चाहिए. मानव जब
स्वार्थ में या संकीर्णता के कारण इस सृष्टि को आँख भर कर निहारे भी नहीं और इसे
नष्ट करने के उपाय खोजे तो दिव्यता का अपमान होता है. जो सत्य, शिव और सुंदर है
उसे देखने के लिए पहले भीतर उसके प्रति सम्मान और प्रेम तो जगाना ही होगा.
आपकी इस पोस्ट को आज की बुलेटिन अब अंतरिक्ष तक सर्जिकल स्ट्राइक करने में सक्षम... ब्लॉग बुलेटिन में शामिल किया गया है.... आपके सादर संज्ञान की प्रतीक्षा रहेगी..... आभार...
ReplyDeleteबहुत बहुत आभार !
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