२ मार्च २०१९
सभी धर्म यह मानते हैं कि परमात्मा एक है. उस तक पहुंचने के
मार्ग पृथक-पृथक हो सकते हैं. इसमें भी किसी को संदेह नहीं कि परमात्मा सर्वज्ञ
है, सर्व शक्तिमान है और सब जगह है. वह प्रेम और आनंद का सागर है. मानव के भीतर
अनंत की कल्पना का बीज जिस क्षण पड़ा, परमात्मा जैसे पूर्णतया स्पष्ट हो गया. हमारे
चारों और का संसार पदार्थ और ऊर्जा से बना है, बनने और मिटने वाला है, किन्तु
विज्ञान कहता है पदार्थ को न तो बनाया जा सकता है न ही नष्ट किया जा सकता है, केवल
उसका रूप बदला जा सकता है. इसी प्रकार ऊर्जा का भी केवल रूप बदला जा सकता है, उसे
सृजित या नष्ट नहीं किया जा सकता. पदार्थ और ऊर्जा दोनों के पीछे जो एक और तत्व है,
जो दोनों का मूल है, जो कभी नहीं बदलता, वही शिव तत्व है. ऐसा कभी नहीं था कि वह नहीं
था, ऐसा कभी नहीं होगा कि वह नहीं होगा, और ऐसा नहीं है कि वह अभी नहीं है. उस एक
में टिककर ही पूर्ण विश्राम का अनुभव संतजन करते हैं.
आपकी इस पोस्ट को आज की बुलेटिन भारत कोकिला सरोजिनी नायडू और ब्लॉग बुलेटिन में शामिल किया गया है। कृपया एक बार आकर हमारा मान ज़रूर बढ़ाएं,,, सादर .... आभार।।
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