जनवरी २००२
हम तीन स्तरों पर जीते हैं, एक भौतिक स्तर यानि देह के स्तर पर, दूसरा मानसिक स्तर तीसरा आत्मिक स्तर जहां देह व मन की कोई पहुंच नहीं है. इन तीन स्तरों की तुलना पदार्थ की तीन अवस्थाओं से की जा सकती है- ठोस, द्रव व गैसीय अवस्था. ठोस शरीर है जहां अन्यों से हमें अपनी भिन्नता का भास होता है. यहाँ हमें दुःख का अनुभव अधिक होता है. मन तरल है जिस तरह दो द्रव आपस में मिल सकते हैं वैसे ही सूक्ष्म होने से मन भी मिल सकते हैं, भिन्नता कम हो जाती है. यहाँ सुख की अनुभूति अधिक होती है. तीसरी है आत्मा जो सूक्ष्मतम होने से वाष्प की तरह सब जगह व्याप्त है. आत्मा के स्तर पर कोई भेद नहीं रह जाता. यहाँ न सुख है न दुःख, आत्मा दोनों से परे है.
पूरी तरह सहमत
ReplyDeleteबहुत सुंदर
सत्य कहा आपने परन्तु इन तीनों स्टार को समझ हम कभी नहीं पते शायद सदैव भागते रहते हैं बस.....
ReplyDeleteगहन चिंतन, सुंदर विष्लेषण।
ReplyDelete