Friday, September 30, 2011

ध्यान क्या है


अप्रैल २००२ 

यदि मन एक ही अवस्था में टिक जाता है यही ध्यान है. यदि हम मन को प्रयास करके नहीं ठहरा रहे हैं, यह स्वतः विश्राम में है, निर्विकल्प बोध ही शेष है, यही ध्यान है और यदि कुछ देर तक मात्र बोध ही शेष रहे कोई संदेह भीतर न हो, और तब भीतर एक सहजता का जन्म होता है जिसे कोई ले नहीं सकता, यही ध्यान है.

3 comments:

  1. हाँ,ऐसा ही तो है.

    ReplyDelete
  2. Very simple and easy to understand definition.
    Thank you for creating a Blog with a difference. It's very unique and soulful presentation.

    Wish you all the best "Navaratri".

    www.santoshspeaks.blogspot.com
    www.belovedlife-santosh.blogspot.com

    ReplyDelete