जून २००२
जीवन कितना अनमोल है और कितना मोहक, कान्हा की वंशी की तरह, उसकी मुस्कान की तरह, उसकी चितवन की तरह. मन में कोई उद्वेग न हो, कोई कामना न हो तो मन कितना हल्का-हल्का सा रहता है. किसी से भी कोई अपेक्षा न हो स्वयं से भी नहीं बस जो सहज रूप से मिल जाये उसे ही अपने विकास के लिये साधन बना लें और आगे बढ़ते चलें. होश पूर्वक जीना आ जाये तो हमें अ पने कार्यों, वाणी तथा विचारों के लिये कभी पश्चाताप नहीं करना पड़ता है. वर्तमान में जीना ही होश में जीना है.
वर्तमान ही जीवन है, भविष्य अनुमान।
ReplyDeleteसही है, हमें वर्तमान में ही जीना चाहिए।
ReplyDeleteबहुत सुंदर ........
ReplyDeleteवर्तमान में जीना ही होश में जीना है.
ReplyDeleteसहमत !!
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