जून २००२
माया रूपी रात्रि में संयम रूपी ब्रेक और विवेक रूपी लाइट लगी जीवन की गाड़ी यदि हम चलायें तो दुर्घटना से बचेंगे और ईश्वर के प्रति श्रद्धा अविचल रहेगी. कामनाओं के वेग को जो रोक सके और क्रोध को जो सही सही देख सके वही सुख-दुःख के पार आनंद को उपलब्ध हो सकता है. हमारी चेतना का विस्तार भी तभी होता है... अभी तो हम मन के छोटे से हिस्से में जीते हैं, अचेतन मन में क्या चल रहा है हमें पता ही नहीं होता तभी कुछ ऐसा हो जाता है जिसे हमने करना नहीं चाहा था. मन की गहराई में जितना-जितना प्रवेश होगा, भीतर प्रकाश बढ़ेगा अर्थात विवेक रूपी टार्च हमें मिल जायेगी.
वाह ..
ReplyDelete.. दीपावली की शुभकामनाएं !!
दीपावली पर्व अवसर पर आपको और आपके परिवारजनों को हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं....
ReplyDeleteदीपावली की शुभकामनायें.
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